17 मार्च से धरने पर बैठे किसानों को हटाने पहुंची पुलिस, टकराव की स्थिति बनी
गाजियाबाद के वेव सिटी इलाके में किसान आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया है। 17 मार्च 2025 से लगातार धरना दे रहे किसानों को हटाने के लिए बुधवार देर रात कुछ महिलाओं और अन्य लोगों के साथ पुलिस पहुंची, जिससे मौके पर तनाव पैदा हो गया। किसानों का आरोप है कि उन्हें जबरन हटाने की कोशिश की गई।
गुरुवार सुबह जब किसान दोबारा धरना स्थल पर पहुंचे तो उन्होंने नाराजगी जताई और पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक हुई। जबरदस्ती धरना हटाने की कोशिशों के विरोध में किसानों ने खुद पर तेल डाल आत्मदाह की चेतावनी दी। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने तुरंत स्थिति को संभाला।
किसानों की चेतावनी: आत्मदाह से भी पीछे नहीं हटेंगे
किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे धरना समाप्त नहीं करेंगे—even अगर इसके लिए उन्हें आत्मदाह करना पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें जेल भेजने की धमकी देकर दबाव बना रही है।
धरने की पृष्ठभूमि
धरना किसान संघर्ष समिति वेव सिटी गाजियाबाद के बैनर तले भूमिहीन परिवारों द्वारा किया जा रहा है। ये आंदोलन 17 मार्च से जारी है। किसानों का कहना है कि उन्हें 2014 में हुए समझौते के तहत 8 प्रतिशत भूखंडों का आवंटन और बैनामा चाहिए।
बिल्डर पर वादाखिलाफी का आरोप
किसानों ने हाइटेक सिटी बिल्डर पर आरोप लगाया है कि 2014 में हुए समझौते के अनुसार न तो उन्हें भूखंड मिले और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। उनका साफ कहना है कि जिनके पास आवंटन पत्र हैं उन्हें तुरंत फ्लैट या प्लॉट का बैनामा दिया जाए और जो वंचित हैं, उन्हें नए आवंटन पत्र दिए जाएं।
अन्य मांगें भी उठाईं
धरने में 50 से 60 किसान और ग्रामीण हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने अपने गांवों के समुचित विकास, रोजगार, सफाई व्यवस्था और जल निकासी जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग भी प्रशासन के सामने रखी है।
किसानों ने साफ कहा है कि जब तक उनका हक उन्हें नहीं मिलता, वे वेव सिटी धरना स्थल से नहीं हटेंगे। उन्होंने प्रशासन और बिल्डर से 2014 के समझौते को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की है।
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