शराब पीने वालों के लिए बड़ी खबर: यूपी सरकार की नई आबकारी नीति लागू
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है, जिसमें शराब की बिक्री और लाइसेंसिंग से जुड़े कई अहम बदलाव किए गए हैं।
संयुक्त शराब की दुकानें होंगी शुरू
इस नई नीति के तहत बीयर और विदेशी शराब की दुकानों को एक साथ मर्ज कर दिया जाएगा। अब तक ये दोनों अलग-अलग बेची जाती थीं, लेकिन अब संयुक्त शराब की दुकानों (कंपोजिट स्टोर्स) के जरिए एक ही जगह से बीयर, वाइन और विदेशी शराब खरीदी जा सकेगी।
दिल्ली-एनसीआर के लोगों को होगा फायदा
दिल्ली में शराब नीति को अगस्त 2022 में वापस लेने के बाद लोगों को शराब खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजधानी के ग्राहकों को अक्सर गुरुग्राम जाना पड़ता था, जहां शराब सस्ती और विकल्प ज्यादा हैं। नई यूपी आबकारी नीति अब नोएडा और गाजियाबाद को एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश करेगी, जिससे दिल्ली के लोगों को गुरुग्राम जाने की जरूरत कम होगी।
तीन तरह की शराब दुकानें होंगी
यूपी के आबकारी आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि अब राज्य में तीन प्रकार की शराब दुकानें होंगी:
- मॉडल शॉप
- देशी शराब की दुकानें
- कंपोजिट दुकानें (संयुक्त शराब की दुकानें)
अब बीयर की अलग से दुकानें नहीं होंगी, बल्कि यह कंपोजिट स्टोर्स या देशी शराब की दुकानों पर ही बेची जाएगी।
कंपोजिट दुकानें अन्य राज्यों में पहले से लागू
डॉ. सिंह ने बताया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और दक्षिणी राज्यों में यह व्यवस्था पहले से लागू है। यूपी में भी यह नीति लागू होगी, लेकिन किसी भी जिले में शराब की दुकानों की कुल संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी। कुछ जिलों में संख्या घट भी सकती है।
वाइन और माइक्रोब्रूवरी को मिलेगा बढ़ावा
नई नीति के तहत राज्य में वाइनयार्ड और माइक्रोब्रूवरी को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पर्यटन को भी फायदा होगा। साथ ही, वाइन बेचने वालों को कम लाइसेंस शुल्क पर दुकान खोलने की अनुमति दी जाएगी। इससे किसानों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि वे अपने फलों का उपयोग वाइन उत्पादन में कर सकेंगे।
कम-अल्कोहल वाले बार के लाइसेंस सस्ते होंगे
गाजियाबाद, नोएडा, आगरा और लखनऊ जैसे शहरों में कम-अल्कोहल वाले बार (जहां केवल बीयर और वाइन परोसी जाएगी) के लिए लाइसेंस शुल्क घटाया जाएगा।
नई नीति का उद्देश्य
गौतमबुद्ध नगर के आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार के अनुसार, इस नीति का मुख्य मकसद राजस्व बढ़ाना और शराब की बिक्री को अधिक सुव्यवस्थित बनाना है। सरकार का प्रयास है कि शराब बिक्री की प्रक्रिया को पारदर्शी और उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक बनाया जाए।
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