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कौशांबी थाना क्षेत्र का है पूरा मामला |
गाजियाबाद।दुष्कर्म के झूठे आरोप में एक कारोबारी को जेल भेजने और उनकी पत्नी से 32 लाख रुपये लेने के मामले में पांच पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आई है। इस प्रकरण में तत्कालीन थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
घटना जनवरी 2023 की है, जब दिल्ली निवासी एक युवती ने कौशांबी क्षेत्र में रहने वाले अपने पूर्व बॉस (कारोबारी) के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। रिपोर्ट के अनुसार, युवती ने समझौते के एवज में पांच करोड़ रुपये की मांग की थी। पैसे न देने पर उसने शिकायत वापस नहीं ली, और पुलिस ने कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया।
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गाजियाबाद पुलिस पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र |
कारोबारी को करीब तीन महीने बाद जमानत मिली, जिसके बाद उन्होंने पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र से शिकायत की। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले को हल्का करने के लिए उनकी पत्नी से पुलिसकर्मियों ने 32 लाख रुपये ले लिए थे।
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डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल |
जांच में झूठे आरोप साबित
डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल के मुताबिक, इस मामले की जांच एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने की। जांच में दुष्कर्म के आरोप झूठे पाए गए, साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ कि पुलिस ने विवेचना में तथ्यों को नजरअंदाज किया।
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एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने की मामले की जांच |
जिम्मेदार पुलिसकर्मी और आगे की कार्रवाई
जांच में तत्कालीन कौशांबी थाना प्रभारी प्रभात दीक्षित, दारोगा अंकित तरार, इंस्पेक्टर गिरिराज सिंह, साइबर सेल प्रभारी अनिल यादव, और दारोगा रीगल देशवाल की लापरवाही सामने आई है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के आधार पर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में कारोबारी की शिकायत पर युवती के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले ने पुलिस की कार्यशैली और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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