31 कैदी हुए जेल से रिहा, 56 जोड़े साथ रहने के लिए हुए राजी
गाजियाबाद। राष्ट्रीय लोक अदालत में मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से 31 बंदियों की रिहाई और परिवार न्यायालय से 56 जोड़ों की एक साथ विदाई हुई। रिहा किए गए बंदी चोरी, मारपीट, एक्साइज और आर्म्स एक्ट के तहत जेल में बंद थे। सचिव एडीजे अनिल प्रसाद और चीफ डिफेंस काउंसिल किरण पाल ने बताया कि जुर्म स्वीकार करने के बाद जेल में बिताई अवधि पर अभियुक्तों को जेल से रिहा कर दिया गया।
कचहरी परिसर में जिला जज जितेंद्र कुमार सिन्हा के निर्देशन में लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें प्रशासन और न्यायालय संबंधित लगभग ढाई लाख मामलों का निस्तारण किया गया। नोडल ऑफिसर न्यायाधीश आलोक पांडेय ने बताया कि पांच परिवार न्यायालय में 232 मामलों का निस्तारण किया गया।
चार साल में दूर हुई गलतफहमी
एकाउंटेंट पति और शिक्षक पत्नी में चार साल से शक के चक्कर में तलाक का मुकदमा चल रहा था। अदालत और अधिवक्ताओं के प्रयास के बाद पति-पत्नी के बीच की गलतफहमी दूर हो गई। दोनों साथ-साथ रहने के तैयार हो गए। अधिवक्ता मनोज नागवंशी ने बताया कि पति पत्नी को साथ ले जाना चाहता था, जबकि पत्नी के दिमाग में था कि पति का अन्य महिला से सम्बन्ध है।
पोता पोती ने दादी के साथ रहने की जताई इच्छा तो पति-पत्नी हुए एक
अधिवक्ता राजकुमार चौहान ने बताया कि मोदीनगर के एक बैंक में क्लर्क की नौकरी करने वाले पति ने नर्स पत्नी पर आरोप लगाया था कि वह सास का ध्यान नहीं रखती है। पत्नी सास से अलग रहना चाहती है। इस बात पर पांच साल पहले तलाक का मुकदमा दायर हुआ था। सात साल के बेटे और पांच साल की बेटी ने दादी के साथ रहने की इच्छा जताई तो पति-पत्नी बच्चों के लिए एक साथ रहने को तैयार हो गए।
नहीं बनी थी बात, पति-पत्नी हुए अलग
आकाश नगर निवासी युवती की शादी अश्वनी से 31 नवंबर 2017 को हुई थी। शादी के बाद से ही दोनों में अनबन होने लगी थी। इसके बाद लड़ाई-झगड़े, मार-पिटाई के कारण विवाहिता ने 23 फरवरी 2023 को महिला थाने में प्रार्थना पत्र दिया था। अदालत में दोनों पक्षों की मध्यस्थता के बाद दोनों ही अलग-अलग रहने को राजी हो गए।
इंजीनियर पति और घरेलू महिला में नहीं बन सका तालमेल
इंजीनियर पति ने घरेलू पत्नी के खिलाफ 2021 में तलाक का मुकदमा दायर किया था। शादी के बाद से लड़ाई झगड़ों के कारण आपसी मनमुटाव हो गया था। लोक अदालत में परिवार न्यायालय न्यायाधीश कुणाल वेपा के समक्ष दोनों पक्षों की मध्यस्थता के बाद दोनों ही तलाक लेकर अलग-अलग रहने को तैयार हो गए।
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