जाने डेंगू के बचाव के लिए क्या क्या करे
संपादक सच्चा युग भूदेव दीक्षित |
डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है।
पानी जमा न होने दें
- घर में किसी भी जगह में पानी को जमा न होने दे। हमेशा सूखा रखने की कोशिश करें।
पानी को अगर स्टोर करके रख रहे हैं तो उसे ढक कर रखें।
- आसपास के एरिया में भी पानी को जमा न होने दें।
- फिलहाल के लिए गमलों को अवोइड करें।
- अगर जानवरों के लिए पानी डाल भी रहे हैं तो उसे हर दूसरे दिन चेंज करें।
अपनी सुरक्षा अपने हाथ
- मच्छरों से बचने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहने।
- आपके घर में ज्यादा मच्छर हैं तो दिन में भी मॉस्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग करें।
- कूलर का पानी रोज बदलें या बिना पानी के कूलर चलाएं।
- ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां साफ सफार्इ ना हो।
- रात को सोने से पहले बॉडी पर क्रीम लगा लें।
- हलके रंग के कपड़े पहने की कोशिश करें। हाफ पेंट्स को इग्नोर करें।
बेड के नीचे और कम रोशनी वालों जगहों पर मच्छर मारने वाली दवा को स्प्रे करें।
जरूरी बातें
- फिलहाल के लिए स्ट्रीट फूड को अवोइड करें।
- पानी उबाल कर पीने की कोशिश करें।
- फ्रेश फूड खाएं।
- साफ-सफाई पर पूरा ध्यान रखें।
- किसी से भी अपनी खाना या फिर कपड़ों को शेयर न करें।
- खाना खाने से पहले हैंड वॉश जरूर करें।
डेंगू के लक्षण
आमतौर पर डेंगू बुखार के लक्षणों में एक साधारण बुखार होता है और किशोरों एवं बच्चों में इसकी आसानी से पहचान नहीं की जा सकती। डेंगू में 104 फारेनहाइट डिग्री का बुखार होता है, जिसके साथ इनमें से कम से कम दो लक्षण होते हैं:
- सिर दर्द
- मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
- जी मिचलाना
- उल्टी लगना
- आंखों के पीछे दर्द
- ग्रंथियों में सूजन
- त्वचा पर लाल चकत्ते होना
तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं – हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम।
- हल्का डेंगू बुखार - इसके लक्षण मच्छर के दंश के एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं और इसमें गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हैं।
- डेंगू रक्तस्रावी बुखार - लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।
- डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू का एक गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है।
डेंगू का उपचार
डेंगू के लिए अभी तक किसी वैक्सीन या टीके का आविष्कार नहीं हो सका है, लेकिन यह घबराने की बात नहीं है। अगर हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करते जाएं, तो इस रोग से निदान पाने में हम सफल हो सकते हैं। प्रांभिक स्थिति में रोगी को पैरासीटामॉल देने से आराम मिल सकता है। रोगी को डिस्परीन नहीं देनी चाहिए। रोगी को तरल पदार्थ भरपूर देना चाहिए और ओआरएस का घोल भी समय-समय पर देना चाहिए। अगर फिर भी तबीयत ज़्यादा बिगड़ती दिख रही हो तो 5 दिन के भीतर रोगी की जांच करवानी चाहिए और चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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