लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ वही लोग तंबाकू, सिगरेट जैसे उत्पाद बेच पाएंगे जिनके पास नगर निगम का लाइसेंस होगा. राज्य में तंबाकू की बिक्री के नियमन के लिए तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार ने ये फैसला तंबाकू की बढ़ती समस्या और जन स्वास्थ्य को इससे होने वाले खतरे का ध्यान में रखते हुए लिया है. माना जा रहा है कि ऐसा होने से इसके इस्तेमाल में कमी आएगी.
सिगरेट, बीड़ी, खैनी आदि बेचने वाले विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग जरूरी करने से तंबाकू नियंत्रण के लिए लागू नियमों और नीतियों का प्रभावी प्रवर्तन शुरू होगा. इस आदेश से लोगों को तंबाकू के नुकसान से बचाने में सहायता मिलेगी. असल मे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक एडवाइजरी लेटर भेजकर तंबाकू विक्रेताओं की लाइसेंसिंग नगर निगम से कराने की सिफारिश की है. इसी को देखते हुए यूपी में इस व्यवस्था को लागू किया गया है.
बच्चों का रखा गया गया है ध्यान
नई व्यवस्था में ये भी है कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दुकानदार गैर तंबाकू उत्पाद जैसे टॉफी, कैन्डी, चिप्स, बिस्कुट, शीतल पेय नहीं बेच पाएंगे. ऐसा होने से इन दुकानों पर सिर्फ वही लोग रुकेंगे जिन्हें तंबाकू उत्पाद लेना होगा. अभी कई बार बच्चे भी टॉफी, चिप्स लेने के लिए ऐसी दुकानों पर रुक जाते हैं. ऐसे में बच्चों का ध्यान तंबाकू उत्पादों की तरफ आकर्षित होने की संभावना रहती है.
लाइसेंस के लिए पात्र
लाइसेंस लेने के लिए भारत का नागरिक ही पात्र होगा। आवेदनकर्ता की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष होनी चाहिए। दुकानदार के नाम पर आधार कार्ड होना अनिवार्य होगा। शहर के बाहर का आधार कार्ड होने पर पार्षद से सत्यापना कराना होगा। शैक्षिक संस्थान से 100 गज की दूरी पर दुकान को लाइसेंस दिया जाएगा। स्ट्रीट वेंडर नीति के अनुसार अस्थाई दुकानदार को भी लाइसेंस दिया जाएगा।
लाइसेंस पंजीकरण शुल्क
अस्थाई दुकान 200
स्थाई दुकान 1000
थोक विक्रेता 5000
एक साल के लिए पंजीकरण
एक साल बाद
थोक विक्रेता 5000
स्थाई दुकान 200
अस्थाई दुकान 100
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें