पाकिस्तान में अंडों की कीमत में आई अप्रत्याशित तेजी से वहां की गरीब अवाम हलकान है। वहीं, नया पाकिस्तान का नारा देने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान चीनी के दाम कम करने का दावा कर खुद को शाबाशी दे रहे हैं। केवल अंडे ही नहीं, पाकिस्तान में अदरक के भाव भी आसमान पर है। रावलपिंडी में एक किलो अदरक 1000 रुपये का बिक रहा है। कुछ दिन पहले तक आटे के लिए घंटों लाइन लगाने वाले पाकिस्तानियों को अब रसोई गैस की भी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश के अधिकतर हिस्सों में ठंड में बढ़ती मांग के कारण अंडे के दाम 350 रुपये प्रति दर्जन तक पहुंच गए हैं। ऐसे में फुटकर में अंडे खरीदने वाली पाकिस्तान की गरीब जनता के सामने नया संकट मंडराने लगा है। पाकिस्तान की 25 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारती है। ये आबादी अपने खाने में बड़े पैमाने पर अंडों का इस्तेमाल करती है।
पाकिस्तान जनवरी महीने में भीषण गैस संकट से जूझने जा रहा है। पाकिस्तान में गैस की सप्लाइ करने वाली कंपनी सुई नॉर्दन 500 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक फुट प्रतिदिन गैस की कमी से जूझेगी। गैस की इस भारी किल्लत की वजह से कंपनी के पास पॉवर सेक्टर को गैस की आपूर्ति रोकने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने समय से गैस नहीं खरीदा जिसका खामियाजा अब देश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कुछ दिन पहले ही इमरान खान ने ट्वीट कर दावा किया था कि उनके देश में चीनी अब 81 रुपये प्रति किलो बिक रही है। उन्होंने खुद की प्रशंशा करते हुए कहा कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण ही पिछले महीने 102 रुपये किलो बिक रहे चीनी की कीमत अब 81 रुपए तक आ गई है। उन्होंने कीमत को कम करने के लिए बनाई गई अपनी टीम की भी तारीफ की थी।
पाकिस्तान इन दिनों खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा है। जो पाकिस्तान पहले दुनियाभर को प्याज का निर्यात करता था। उसे अब अपने देश में प्याज की कीमतों को कम करने के लिए इसका आयात करना पड़ रहा है। आटे और चीनी के दाम को कम करने के लिए इमरान खान लगातार कैबिनेट और अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे हैं।
पाकिस्तान में इस साल गेहूं की कीमत ने रेकॉर्ड तोड़ दिया है। यह इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा 2400 रुपये प्रति 40 किलो की कीमत यानी 60 रुपये में एक किलो पर पहुंच गई। इसके साथ ही देश की सरकार के महंगाई काबू में करने और खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की कोशिशों के असफल होने के इशारे मिलने लगे हैं। पिछले दिसंबर में देश में हालात बेहद खराब दिखने लगे थे जब गेहूं की कीमत 2000 रुपये प्रति 40 किलो पर पहुंच गई थी। इस साल अक्टूबर में ही यह रेकॉर्ड टूट गया।
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