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शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

बीएसपी सांसद मलूक नागर के ठिकानों पर IT की रेड 40 घंटे बाद खत्म


गाजियाबाद
यूपी में बिजनौर से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सांसद मलूक नागर और उनके भाइयों की आवास और व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर हुई रेड में आयकर विभाग को 50 लाख रुपये की नकदी और करीब सवा करोड़ रुपये की जूलरी मिली है। साथ ही टीम को मौके से कंपनी के सुरक्षा प्रीमियम (शेयर) भी बड़ी संख्या में मिले हैं।




जांच में यह पता चला है कि कंपनियों के पास लोगों या बैंक के लोन हैं लेकिन इसके बाद भी ये दूसरों को लोन दे रहीं थीं। कंपनियों की जो बिक्री दिखाई गई वह उनके लोन और एडवांस के अनुरूप नहीं मिला है। सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा प्रीमियम के माध्यम से खेल किए जाने की सूचना आयकर विभाग को मिली थी। विभाग इस सूचना पर काफी लंबे समय से काम कर रहा था।

6 बैंक लॉकर भी मिले
कंपनी के शेयरहोल्डर अपनी आय के स्रोत के बारे में जानकारी नहीं दे सके हैं। छापेमारी के दौरान टीम को 6 बैंक लॉकर मिले हैं। आयकर विभाग की टीम इस मामले की आगे की जांच कर रही है। मालूम हो कि 28 अक्टूबर को आयकर विभाग की टीम ने मलूक नागर के नोएडा, हापुड़ और बिजनौर स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। यह कार्रवाई 29 अक्टूबर रात को 12 बजे के बाद खत्म हुई। यह कार्रवाई लखनऊ की टीम ने की थी।

एक छत के नीचे चल रही थी 20 कंपनी
आयकर विभाग की जांच में पता चला है कि एक ही छत के नीचे अलग-अलग नामों से 20 कंपनियों चल रही थीं। इसमें कई कंपनियां डमी पाई गई हैं। उनमें कोई भी ऑपरेशन होता नहीं पाया गया है। इन कंपनियों की कोई वैल्यू नहीं पाई गई जबकि शेयर प्रीमियम का हिस्सा इसमें दिखाया गया है। इन डमी कंपनियों का प्रयोग पैसे को ठिकाने लगाने के लिए किया जा रहा था।

लंदन तक निकला लिंक
जांच में पता चला कि एक ग्रुप मेंबर का वित्तीय हित ब्रिटेन आधारित एक विदेशी कंपनी के साथ था और एक प्रॉपर्टी लंदन में मिली है। आयकर विभाग की टीम इसके स्रोत का पता लगाने में जुट गई है। संपत्तियों में निवेश किए जाने के प्रकरण में बहुत से कागजात आयकर विभाग की टीम ने जांच के लिए जब्त किए हैं। हाथ से लिखे गए कई डॉक्युमेंट्स, भुगतान और प्राप्तियों के कई कागजात को भी टीम अपने साथ ले गई है।

बेनामी संपत्ति का बन सकता है मामला
आयकर विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस जांच में बेनामी संपत्ति का मामला बनने की पूरी संभावना है। क्योंकि आय से अधिक की संपत्तियां मिली है। कई मामले में आय के स्रोत के बारे में कुछ भी नहीं पता चल सका है। जो संपत्ति बेनामी होती है वह भारत सरकार के पास चली जाती है। तीन से सात साल तक जेल का भी नियम है।

 

आगे क्या होगा?
अधिकारी बताते हैं कि रेड के दौरान जो कागजात, पेन ड्राइव, लैपटॉप मिला होगा उसकी जांच की जाएगी। फिर पिछले सात साल का केस खोला जाएगा। देखा जाएगा कि जो आईटीआर फाइल की गई वह रिकॉर्ड के अनुसार सही है या नहीं। यदि यह सही नहीं होगी तो नोटिस देकर उसके बारे में जानकारी पूछी जाएगी। सोने और कैश के स्रोत के बारे में भी पूछताछ की जाएगी।

छापे के पीछे राजनीतिक कारण तो नहीं!
राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा चल रही है कि बसपा सांसद के यहां रेड राजनीतिक प्रतिद्वंदी को खत्म किए जाने के लिए कराई गई है। सपा के एक नेता ने कहा कि इस रेड का असर बीएसपी में दिखना शुरू हो चुका है। आने वाले दिनों में इसका असर और अधिक बढ़ने की संभावना है।

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