प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताते हुए अफसरों को रोकथाम व बचाव के सख्त निर्देश दिए हैं. अदालत ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही कोरोना के मामलों को काबू में नहीं किया गया तो यहां आने वाले दिनों में सामुदायिक प्रसार हो सकता है और महामारी फ़ैल सकती है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रयागराज के डीएम और एसएसपी के साथ ही सीएमओ और नगर आयुक्त समेत कई अफसरों को कोरोना की गाइड लाइन का सख्ती से पालन कराने को कहा है.
अदालत ने कहा है कि यह अफसरों की ज़िम्मेदारी है कि वह किसी को बिना मास्क के बाहर न निकलने दें. कहीं भी लोगों का जमावड़ा न हो सके और साथ ही बाज़ारों व दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर बेवजह की भीड़ भाड़ न हो. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने निगरानी के लिए हाईकोर्ट के दो वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है. अदालत ने अफसरों को हफ्ते भर सभी सुविधाएं दुरुस्त करने की हिदायत देते हुए पचीस अगस्त को फिर से इस मामले में सुनवाई करने का फैसला किया है.
अदालत ने प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज द्वारा संचालित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की सुविधाओं और कोरोना मरीजों व संदिग्धों के साथ वहां के स्टाफ के रवैये पर भी नाराज़गी जताई है. अदालत ने अस्पताल में मेडिकल सुविधाएं व स्टाफ बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं तो साथ ही कोरोना संक्रमित महिला मरीज चुन्नी देवी की मौत पर भी अफसरों से जवाब तलब किया है. चुन्नी देवी शौचालय जाते वक्त फर्श पर गिरकर मौत का शिकार हो गईं थीं. अदालत ने अफसरों से पूछा है कि उनके गिरने के बाद काफी देर तक कोई भी डाक्टर या स्टाफ उनके पास क्यों नहीं गया.
अदालत ने आगरा जिले में भी कोरोना संक्रमितों की देखभाल सही तरीके से न होने पर वहां के प्रशासन से जवाब मांगा है. अदालत ने यह आदेश प्रयागराज में एडवोकेट गौरव गौर व अन्य लोगों द्वारा दाखिल पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत में एडवोकेट एसपीएस चौहान और प्रियंका मिड्ढा ने भी पक्ष रखा. एडवोकेट प्रियंका मिड्ढा ने तो प्रयागराज के अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई किये जाने की अपील की है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें