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मंगलवार, 28 जुलाई 2020

फर्जी पत्रकार को भेजा गया जेल


आये दिन समाज में बच्चों के साथ यौन अपराधों की ख़बरें मिलती रहती हैं, जो किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करती हैं।कविनगर थाना क्षेत्र में एक कथित पत्रकार  ने पत्नी का दहेज उत्पीड़न किया और अपनी किशोरी साली से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था जिसमे  पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।


कविनगर थाना प्रभारी मोहम्मद असलम ने बताया आरोपित वैशाली निवासी रोहित कुमार है। वह अपने आप को पत्रकार बताता है। उन्होंने बताया कि आरोपित की 17 साल की साली अपने पिता के साथ थाने पहुंची और जीजा रोहित के खिलाफ तहरीर दी। तहरीर में आरोप लगाया गया है कि रोहित उसके साथ कई बार छेड़छाड़ कर चुका था। जिसमे की जानकारी मैं पता चला की पुलिस  ने धारा 323,504 ,506 ,धारा 7 और 8 (POCSO ACT SECTION 7-8) एफआईआर  दर्ज कर डासना जेल की हवा खिलाई।



जानिए क्या है पॉक्सो एक्ट ? इसके तहत क्यों और कितनी होती है सजा ?


सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून "पॉस्को एक्ट" बनाया। इस कानून के तहत दोषी व्यक्ति को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। क्योंकि यह कानून बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है।


इसी तरह, पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। इस प्रकार की धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। वहीं, पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है, जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।


बताते चलें कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में अपने आप आ जाता है। जिससे यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म, यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई का प्रावधान है। यही नहीं, इस एक्ट के जरिए बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान होती है।


 


यहां पर यह भी बता दें कि 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुराचार होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के तहत आता है। इस एक्ट के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, एक्ट की धारा 11 के साथ यौन शोषण को भी परिभाषित किया जाता है, जिसका मतलब है कि यदि कोई भी व्यक्ति अगर किसी बच्चे को गलत नीयत से छूता है या फिर उसके साथ गलत हरकतें करने का प्रयास करता है या उसे पॉर्नोग्राफी दिखाता है तो उसे धारा 11 के तहत दोषी माना जाएगा। इस धारा के लगने पर दोषी को 3 साल तक की सजा हो सकती है। कुल मिलाकर इस कानून के निर्माण और उसमें किये गए संशोधन से पॉक्सो एक्ट की प्रासंगिकता समाज में बढ़ी है।


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