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शुक्रवार, 12 जून 2020

क्या सीमा विवाद में भारत और चीन युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए थे, जानिए

नई दिल्ली: क्या हालिया सीमा विवाद के दौरान भारत और चीन की सेनाएं युद्ध के मुहाने पर पहुंच गई थीं? ये सवाल इसलिए क्योंकि सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना ने ना केवल लद्दाख बल्कि उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश तक में ‘बिल्ड-अप’ कर लिया था जिसके बाद भारतीय सेना भी अलर्ट हो गई थी और ‘रिज़र्व-फॉरमेशन्स’ को एलएसी की तरफ मूव करना पड़ा था.



लेकिन सूत्रों की मानें तो 6 जून को दोनों देशों के कोर कमांडर्स की हुई बातचीत के बाद ही मामला थोड़ा ठंडा हुआ है. हालांकि फिंगर-एरिया जैसे इलाकों में अभी भी तनाव बरकरार है और भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है.


 


सूत्रों के मुताबिक, चीनी सेना ने भारत की घेराबंदी की तैयारी कर ली थी. जिसके चलते ही चीनी सेना ने 3488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्युचल कंट्रोल (एलएसी) पर ‘बिल्ड-अप’ शुरू कर दिया था. सैन्य भाषा में बिल्ड-अप के मायने ये हैं कि सीमा के थोड़े पीछे अपने सैनिक और दूसरे सैन्य साजो-सामान को इकठ्ठा करना, ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिक, टैंक और तोपों को तुरंत मूव कराया जा सके.


 


लद्दाख के फिंगर-एरिया और गैलवान घाटी के साथ साथ उत्तरी-सिक्किम के नाकू-ला दर्रे पर हुई झड़पों को ऐसे में अलग-अलग या फिर लोकल घटनाएं नहीं माना जा सकता है. बता दें कि हाल ही में एबीपी न्यूज़ से बातचीत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य और चीन मामलों के जानकारी, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) एस एल नरसिम्हन ने भी कहा था कि ये सभी घटनाएं ‘लोकल से ऊपर स्तर की थीं’ यानि किसी सीनियर मिलिट्री कमांडर ने इसके लिए इजाजत दी होगी.


 


बता दें कि हाल ही में चीन की पीप्लुस लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वेस्टर्न थियेटर कमांड में ग्राउंड फोर्सेज़ के नए कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल शू चिलिंग को आनन-फानन में तैनात किया गया था.


 


ये वही वक्त था जब अमेरिकी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे टकराव में मध्यस्ता की बात कही थी. हालांकि, भारत ने दोनों देशों के बीच किसी भी मध्यस्ता करने से साफ इंकार कर दिया था.


 


लेकिन सूत्रों की मानें तो भारतीय सेना भी चीन के इस कदम से पूरी तरह वाकिफ थी और एलएसी पर सैनिकों को तुरंत अलर्ट कर दिया गया था. यही नहीं सेना ने रिजर्व ब्रिगेड्स तक को वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब तैनात कर दिया था. भारतीय सेना के टैंक और तोप भी एलएसी के करीब ही तैनात रहती हैं. सूत्रों की मानें तो 6 जून की मीटिंग के बाद सीमा पर तनाव कम हो गया है. हालांकि, लद्दाख में फिंगर-एरिया अभी भी ऐसा विवादित इलाका है जहां दोनों देशों के बीच टकराव जारी है.


 


इस बीच खबर है कि बुधवार को दोनों देशों के मेजर-जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच हुई बैठक का नतीजा अभी तक सामने नहीं आया है. ऐसे में ये साफ नहीं हुआ है कि अगामी फील्ड कमांडर्स के बीच होने वाली मीटिंग कब होगी, या होगी भी या नहीं. क्योंकि 6 जून की मीटिंग में दोनो देशों के कोर-कमांर्डस सीमा विवाद शांति-पूर्वक सुलझाने के लिए तैयार हो गए थे.


 


इसके लिए कहा माना जा रहा था कि अगले 8-10 दिनों में मेजर-जनरल और बटालियन कमांडर्स यानि कर्नल रैंक के अधिकारियों के बीच मीटिंग होनी थी ताकि जमीनी स्तर पर पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो सके. लेकिन अभी इसपर संस्पेंस बना हुआ है.


 


हालांकि, कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि मीटिंग के दो-तीन दिन बाद ही चीन मीटिंग का नतीजा बताने के लिए तैयार होता है क्योंकि मीटिंग के सारी जानकारी ऊपरी कमांड तक भेजने और वहां से मंजूरी मिलने में वक्त लग जाता है.


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