नई दिल्ली: आज से भारत के लोगों का जीवन अनलॉक हो गया है और इस अनलॉक के दौरान लोगों को पहले से कहीं ज्यादा रियायतें दी गई हैं. वहीं अगर कोरोना की बात करें तो भारत में अब तक 2 लाख 57 हजार से ज्यादा लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, और करीब 7 हजार 200 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है.
पिछले 24 घंटे में करीब 10 हजार लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. भारत इस मामले में इटली और स्पेन को पीछे छोड़ते हुए पांचवे नंबर पर आ गया है. अब सिर्फ अमेरिका, ब्राजील, रूस और ब्रिटेन भारत से आगे हैं.
ये एक ऐसी रेस है जिसमें भारत हार ही जाए तो अच्छा है, लेकिन हर रोज तेजी से बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि भारत आने वाले दिनों में कहीं कोरोना टैली के टॉप 5 देशों को पीछे ना छोड़ दे.
ऐसे हालात के बीच आज से भारत में पहले से बहुत ज्यादा रियायतें दे दी गई हैं. ज्यादातर शहरों में धार्मिक स्थल खुल गए हैं. शॉपिंग मॉल्स को भी खोल दिया गया है. इसी तरह रेस्टोरेंट और बाजारों को भी खोलने की इजाजत दे दी गई है. लेकिन सबसे पहले आपको तस्वीरों के माध्यम से ये देखना चाहिए कि अनलॉक इंडिया का पहला दिन आखिर कैसा रहा.
इन तस्वीरों को आप तीन वर्गों में बांट सकते हैं. पहले वर्ग में वो लोग हैं जो काम काज पर जाने के लिए घर से बाहर निकले. दूसरे वर्ग में वो लोग हैं जिन्होंने रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल्स जाने का मन बनाया और तीसरे वर्ग में वो लोग हैं जो आज करीब 75 दिन बाद धार्मिक स्थलों पर पहुंचे.
अगर काम-काज पर जाने वाले लोगों की बात करें, तो मुंबई, दिल्ली, और कोलकाता जैसे शहरों में सुबह सुबह वो लोग अपने घरों से बाहर निकले जो अपने अपने दफ्तर जाना चाहते थे. बस की यात्रा के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग के तमाम नियम बनाए गए हैं, लेकिन मुंबई जैसे शहरों में कुछ ही मिनटों में लोगों का संयम टूट गया और इन नियमों की धज्जियां उड़ गईं.
मुंबई में ये हाल तब है जब कोरोना वायरस से महाराष्ट्र में 83 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और महाराष्ट्र संक्रमितों की संख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ चुका है.
दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में भी स्थितियां ज्यादा अलग नहीं है. इन शहरों में भी या तो लोगों को बसों का लंबा इंतजार करना पड़ा या फिर बसों के आने पर लोगों का सोशल डिस्टेन्सिंग वाला संयम टूटने लगा.
इसके अलावा कई शहरों में आज से ई रिक्शा भी चलने लगे लेकिन ज्यादातर लोगों ने संक्रमण के डर से पैदल चलना ही बेहतर समझा और अधिकतर ई रिक्शा खाली ही नजर आए.
सार्वजनिक परिवहन से चलने वाले लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एक लग्जरी की तरह है. क्योंकि जिस देश में इतनी भीड़ है और यातायात के संसाधन इतने कम हैं, वहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना आसान नहीं है. इसलिए गौर से देखा जाए तो भारत में सोशल डिस्टेंसिंग का सही-सही पालन सिर्फ वही लोग कर सकते हैं जो सर्व संपन्न हैं, और इसमें लोग गलत नहीं हैं बल्कि ये कमी सिस्टम की है.
जब ये लोग किसी तरह अपने अपने दफ्तरों में पहुंचे तो वहां एक बार फिर सबको सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना था. ज्यादातर दफ्तरों में कर्मचारियों की डेस्क को एक दूसरे से दूर कर दिया गया था और ज्यादातर लोगों ने साफ सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ऑफिस में अपना पहला दिन बिताया.
बहुत सारी कंपनियों ने अपने कई कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का विकल्प भी दिया है ताकि दफ्तरों में भीड़ को कम किया जा सके.
लेकिन इस दौरान देश के कई शहरों की सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम दिखाई दिया. जो सड़कें पिछले करीब ढाई महीने से खाली पड़ी थीं आज उन सड़कों पर गाड़ियों की लंबी-लंबी कतारें लगी थीं.
कुल मिलाकर जो लोग काम काज पर लौटने वाले वर्ग में शामिल थे, उनके लिए आज का दिन वैसा ही रहा जैसा लॉकडाउन से पहले हुआ करता था. बस अंतर इतना था कि आज सबके चेहरे मास्क से ढके हुए थे और दफ्तरों में एक दूसरे के करीब बैठने वाले कर्मचारी एक दूसरे से दूरी बनाए हुए थे.
अब बात उस वर्ग में शामिल लोगों की जिन्होंने अनलॉक होते ही पहले दिन शॉपिंग मॉल और रेस्टोरेंट जाने का मन बनाया. देश में ज्यादातर शहरों में रेस्टोरेंट कुछ नए नियमों के साथ खोल दिए गए हैं. उन नियमों के साथ अब रेस्टोरेंट में खाना खाने का अनुभव पहले जैसा नहीं रहा. उदाहरण के लिए आप बैंगलुरू के एक रेस्टोरेंट की तस्वीरें देखिए. इस रेस्टोरेंट में खाने की टेबल पर कांच की दीवारें लगाई गई हैं ताकि लोगों का एक दूसरे से संपर्क ना हो.
इसी तरह कई रेस्टोरेंट में एक टेबल पर दो ही लोगों को बैठने की इजाजत है और वो भी तब जब इनमें बुखार या कोरोना वायरस के लक्षण ना हों. बहुत सारे रेस्टोरेंट में तो कर्मचारी पीपीई किट पहने हुए भी नजर आए.
लेकिन अनलॉक के पहले दिन ऐसे लोगों की संख्या ना के बराबर थी जिन्होंने किसी रेस्टोरेंट में जाकर खाना खाने का विकल्प चुना, ऐसा ही हाल देश भर के शॉपिंग मॉल्स का भी था. ज्यादातर शहरों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए शॉपिंग मॉल को खोलने की इजाजत दे दी है. कई शॉपिंग मॉल्स में Sterilisation Chambers बनाए गए हैं ताकि मॉल में आने वाले लोगों और उनके सामानों को संक्रमण मुक्त किया जा सके.
लेकिन ज्यादातर शॉपिंग मॉल्स भी आज सूने ही नजर आए. क्योंकि कई जगह शॉपिंग मॉल्स तो खोल दिए गए हैं लेकिन वहां दुकानों को खोलने की इजाजत नहीं मिली है.
इसके अलावा संक्रमण के डर की वजह से भी लोग अभी कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते. तीसरे वर्ग में वो लोग शामिल थे जिन्होंने लॉकडाउन खुलते ही धार्मिक स्थलों का रुख किया.
उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक के शहरों में आज से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च खोल दिए गए हैं. लेकिन धार्मिक स्थलों पर जाने का लोगों का अनुभव भी पहले से काफी अलग था. नई गाइडलाइंस के मुताबिक एक सीमित संख्या में ही लोग धार्मिक स्थलों में प्रवेश कर सकते हैं और इन लोगों को ना सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा बल्कि सैनिटाइजर से अपने हाथ भी साफ करने होंगे. इसके अलावा मंदिरों में घंटी बजाने और प्रसाद के वितरण पर फिलहाल प्रतिबंध हैं.
यानी लोगों ने आज अपने ईष्ट के दर्शन तो किए , प्रार्थना भी की लेकिन भक्तों और भगवान के बीच सोशल डिस्टेंसिंग वाली दूरी अब भी कायम है.
कुल मिलाकर सोशल डिस्टेंसिंग अब एक ऐसे नियम की तरह है, जिसका पालन आपको हर कीमत पर करना ही होगा और अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपकी बहुत सारी आजादियां आपसे छीन ली जाएंगी. इसके अलावा अब आपका स्वास्थ्य आपके लिए एक पासपोर्ट की तरह है क्योंकि अगर आप स्वस्थ नहीं हैं तो आपको कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
यानी आपका हेल्थ डाटा ही नया ऑयल है, क्योंकि जिस तरह कभी पूरी दुनिया में ऑयल यानी तेल को बेशकीमती माना जाता था, ठीक उसी तरह अब उन लोगों को बेशकीमती माना जाएगा जो स्वस्थ होंगे.
यानी 21वीं सदी के मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन के उस सिद्धांत पर पूरी तरह निर्भर हो जाएगी जिसके मुताबिक पृथ्वी पर वही जीव बचते हैं, जो परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं. डार्विन की इस थ्योरी को Survival Of The Fittest कहा जाता है.
आप इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि अब वही लोग दौड़ में आगे निकल पाएंगे जिनके पास बीमारियों से लड़ने की इम्यूनिटी होगी. यानी जो फिट होगा वही सर्वाइव करेगा. और जो फिट नहीं होगा उसे अपने जीवन स्तर के साथ समझौता करना होगा.
इसके अलावा आपको जीवन में आने वाले कई दूसरे बदलावों के लिए तैयार रहना होगा. पहला बदलाव ये है कि अब आपकी दुनिया पहले जैसी आजाद नहीं रहेगी. पहले आपको कभी भी और कहीं भी आने जाने की आजादी थी, लेकिन अब आपको ये स्वतंत्रता नहीं मिलेगी. आपके घर, मोहल्ले , जिले, शहर और देश में घूमने की आजादी आपको तभी मिलेगी जब आप पूरी तरह स्वस्थ होंगे.
यानी जिस दुनिया का दायरा लगातार फैलता जा रहा था वो दुनिया अब सिमटना शुरू कर चुकी है. क्योंकि जब तक आप सुरक्षा देने वाली इस फायर वॉल के घेरे में रहेंगे तभी तक आप कोरोना वायरस से बचे रहेंगे.
इसके अलावा अब हर परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति या वस्तु को छूने से आपको परहेज करना होगा. ये युग आपसी संपर्क का युग माना गया है. बिना एक दूसरे के संपर्क में आए सामान्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. चाहे किसी सैलून में जाना हो या किसी सामान की डिलीवरी लेनी हो, इन सबके दौरान आपको किसी ना किसी के संपर्क में आना ही पड़ता है. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा इसके साथ ही गले मिलने और हाथ मिलाने जैसी परंपराएं भी शायद हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी.
इसके साथ ही आपको Minima-lism को अपनाना होगा, यानी आपको उतनी ही चीजों का संग्रह करना होगा जितने की आपको जरूरत है. इसे अपरिग्रह भी कहते हैं. Covid 19 की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में हैं और लाखों लोगों की नौकरियां जा रही हैं. ऐसे में आप जरूरत से ज्यादा सामान इकट्ठा करके अपनी आर्थिक स्थिति को खतरे में नहीं डालना चाहेंगे और इससे बचने का सबसे सरल उपाय यही है कि आप अपने खर्चों में कटौती करें और जिन सुख सुविधाओं की जरूरत अब आपको नहीं है उन्हें अपनी इच्छाओं की सूची से बाहर कर दें.
इसके अलावा समाज में एक नए प्रकार का वर्ग विभाजन भी दिख रहा है. मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग को अपने स्वास्थ्य की चिंता है और इसलिए इस वर्ग के लोग लंबे लॉकडाउन की पैरवी कर रहे हैं जबकि गरीबों और मजदूरों के लिए संक्रमण से ज्यादा जानलेवा लॉकडाउन है. गरीब और मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट है, इसलिए वो लॉकडाउन में नहीं रहना चाहते, जबकि उच्च और मध्यम वर्ग अपने स्वास्थ्य की परवाह करते हुए लॉकडाउन हटाने के पक्ष में नहीं है. इसलिए इन दोनों वर्गों के बीच संघर्ष बढ़ना भी तय है.
और हम आपको बता चुके हैं कि अब आपके स्वास्थ्य से जुड़ा डाटा ही नया Oil बन गया है. भारत में आरोग्य सेतु APP ये बता सकता है कि आपको संक्रमण का खतरा है या नहीं. इसी तरह दुनिया के अलग अलग देश भी तकनीक की मदद से अपने नागरिकों को हेल्थ सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं. यानी आपके स्वास्थ्य से जुड़ा सारा DATA अब सरकारों के पास होगा और इस DATA का सही इस्तेमाल सरकारों और आपके लिए सफलता की कुंजी बन जाएगा इसीलिए कहा जा रहा है कि Health data is the new oil. जिस व्यक्ति के स्वास्थ्य का DATA गड़बड़ होगा उसे बहुत सारी सेवाओं से वंचित रहना होगा.
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