सरकार ने कोरोना वायरस संकट को देखते हुए बुधवार को कर्मचारी भविष्य निधि को लेकर बड़ी राहत घोषणाएं की है। सरकार ने अगले तीन महीने तक कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का ही ईपीएफ योगदान 12 फीसद से घटाकर 10 फीसद कर दिया है। सरकार की इस घोषणा से ना सिर्फ कर्मचारियों और नियोक्ताओं को बल्कि ईपीएफओ को भी राहत मिलेगी। हालांकि, इस दौरान सीपीएसई और राज्यों के पीएसयू में नियोक्ता का योगदान 12 फीसद ही रहेगा।
वित्त मंत्री ने बुधवार को बताया कि पीएफ योगदान में कटौती का फायदा उन कर्मचारियों को भी मिलेगा, जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गात 24 फीसद ईपीएफ सपोर्ट और इसके विस्तार के अंतर्गत लाभ लेने के योग्य नहीं है। पीएफ योगदान में कटौती से 4.3 करोड़ कर्मचारियों और 6.5 लाख संस्थानों को फायदा होगा। इस कदम से कर्मचारियों और नियोक्ताओं को तीन महीने में 6750 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी मिल सकेगी।
कर्मचारियों को मिलेगी बढ़ी हुई सैलरी
सरकार के इस कदम से अब अगले तीन महीने कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी। सरकार ने कर्मचारी के योगदान को 12 फीसद (बेसिक+डीए) से घटाकर 10 फीसद किया है। इससे अब कर्मचारियों के हाथ में बेसिक+डीए की दो फीसद रकम अधिक आ पाएगी। वहीं नियोक्ताओं को बेसिक+डीए का दो फीसद कम ईपीफ योगदान देना होगा, इससे अन्हें भी ईपीएफ योगदान में कम खर्च करना होगा।
रिटायरमेंट फंड पर पड़ेगा असर
ईपीएफ योगदान घटने का सीधा असर कर्मचारी के रिटायरमेंट फंड पर पड़ने वाला है। सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार जितेंद्र सोलंकी ने इस संबंध में कहा कि अवश्य ही सरकार के इस कदम से कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ेगा, लेकिन यह संकट का समय है और इस समय लोगों के हाथ में ज्यादा वेतन पहुंचाना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस विकट समय में कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में ईपीएफ योगदान में कटौती से उन्हें बढ़ा हुआ वेतन मिल पाएगा। सोलंकी ने कहा कि बेहतर लिक्विडिटी होने पर कर्मचारी बाद में विपीएफ (VPF) के जरिए रिटायरमेंट फंड को हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।
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