स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि इस आपदा में क्वारनटीन के लिए लोगों को रखे जाने के लिए भी सरकार के पास पर्याप्त व्यवस्था है. अगले कुछ दिनों में कई ऐसी जगह खाली हो जाएंगी जहां पहले से ही क्वारनटीन में लोग रह रहे हैं और जिनका 14 दिनों का समय पूरा हो जाएगा.
- रिटेल कारोबारियों तक नहीं पहुंच पा रही दवाई
- ट्रांसपोर्ट बंद होने से सप्लाई चेन पर बुरा असर
कोरोना के संक्रमण से निपटने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया लेकिन अधूरी तैयारियों के साथ उठाए गए इस कदम के चलते अब दवाइयों जैसी मूलभूत जरूरत की चीजों की कमी पड़ने लगी है. यातायात व्यवस्था पर बुरा असर पड़ने के चलते दुकानों तक दवाइयां नहीं पहुंच पा रही हैं.
छोटे-मोटे दुकानदार ही नहीं बल्कि सप्लाई व्यवस्था ठप होने के चलते होलसेल बाजार पर भी बुरा असर पड़ा है. दिल्ली के भगीरथ पैलेस में भी काफी कम होलसेल दवाओं की दुकानें खुली नजर आ रही हैं. दुकानदारों के पास पुराना स्टॉक पड़ा है लेकिन नया स्टॉक होलसेल बाजार में भी नहीं पहुंच रहा है.
भगीरथ पैलेस में दीपांशु दवाओं के होलसेलर हैं. दीपांशु के पास दवाइयों का बड़ा स्टॉक पहले से ही मौजूद है लेकिन उनका कहना है कि रिटेल कारोबारी दुकान तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. न ही उनकी दुकान से सामान रिटेल कारोबारियों तक पहुंच पा रहा है क्योंकि दिक्कत ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की है. लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक पास भी नहीं हैं.
दीपांशु का यह भी कहना है कि कई फैक्ट्रियां जो दवाई बनाती थीं, उनके पैकेजिंग के डब्बे कहीं और से आते थे. साथ ही दवाइयों को पैक करने के लिए दूसरी जरूरत की चीजें अलग-अलग यूनिट में बनती थीं, लेकिन मजदूरों के चले जाने के बाद अब वह सब ठप पड़ गई हैं.
दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मानते हैं कि ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ठप होने के चलते दवाइयों की किल्लत जरूर हो रही है. भगीरथ पैलेस को भी बंद करा दिया गया था लेकिन सरकार की मध्यस्थता के बाद इसे खोला गया है ताकि राजधानी में दवाइयों की किल्लत न हो. सत्येंद्र जैन का कहना है कि फिलहाल सरकार कोशिश कर रही है कि दवाइयों की किल्लत न हो.
टूट रही है सप्लाई चेन
सिर्फ दवाइयां ही नहीं बल्कि मास्क और सैनिटाइजर जैसे दूसरे फार्मा प्रोडक्ट्स की कमी भी बाजार में दिखाई पड़ रही है. मजदूरों के पलायन के चलते कई फैक्ट्रियां बंद पड़ गई हैं. भगीरथ पैलेस में सैनिटाइजर के होलसेल कारोबारी महेंद्र का कहना है कि मजदूरों की कमी के चलते वितरण व्यवस्था चरमरा गई है. उनका कहना है कि जिस यूनिट में सैनिटाइजर बनते हैं वहां मजदूरों की कमी के चलते भी काम ठप पड़ गया है. जिसके पास स्टॉक भी है वह बाजार में भेज नहीं पा रहा क्योंकि ट्रांसपोर्ट व्यवस्था कमजोर पड़ गई है.
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