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बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

1992 में तोड़ी गई इमारत हमारी प्रॉपर्टी थी’


  • सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की अंतिम सुनवाई

  • मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन की दलील

  • '1992 में तोड़ी गई इमारत हमारी प्रॉपर्टी थी'


सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की आखिरी दलील मुस्लिम पक्ष की ओर से रखी जा रही है. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो इमारत गिराई गई, वह हमारी प्रॉपर्टी थी. इसके अलावा राजीव धवन ने हिंदू पक्षकारों की ओर से लगाए गए आरोपों का जवाब दिया और अपने तर्क अदालत के सामने रखे. मुस्लिम पक्ष को अपनी दलील रखने के लिए डेढ़ घंटे का वक्त मिला है.


राजीव धवन बोले कि 6 दिसंबर, 1992 को जो नष्ट हुआ, वो हमारी प्रॉपर्टी थी. वक्फ संपत्ति का मतवल्ली ही रखरखाव का जिम्मेदार होता है, उसे बोर्ड नियुक्त करता है. राजीव धवन ने कहा कि अयोध्या को अवध या औध लिखा गया है, जिसकी जांच सरकार के द्वारा की गई थी. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर हम आपके आधार को देखें तो ये ओनरशिप के कागजात नहीं दर्शाता है.


राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हिंदू महासभा आपस में ही बंट गया है, क्योंकि धर्मदास, सरदार रविरंजन सिंह, विकास सिंह और अन्य की ओर से अलग-अलग सबूत दिए गए हैं.


राजीव धवन ने कहा कि इसका मतलब है महासभा 4 हिस्सों में बंट गया है, क्या दूसरी महासभा इसको सपोर्ट करता है?


नक्शा फाड़ने पर राजीव धवन ने दी सफाई


मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि ये वायरल हो गया है कि मैंने कोर्ट में नक्शा फाड़ा, लेकिन मैंने ये कोर्ट के आदेश पर किया. मैंने कहा था कि मैं इसे फेंकना चाहता हूं तब चीफ जस्टिस ने कहा कि तुम इसे फाड़ सकते हो. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने कहा था कि अगर आप फाड़ना चाहें तो फाड़ दें.




हिंदू पक्ष की दलीलों का जवाब


राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्षकारों ने कुरान के हवाले से जो दलीलें दी हैं, वो आधारहीन हैं. राजीव धवन ने कहा कि हम अपनी ज़मीन पर कब्जा वापस चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जिन कागजातों की बात हो रही है, उसके चार-चार मतलब हैं. पहला उर्दू, फिर हिंदी जो जिलानी की तरफ से हुआ, फिर एक हिंदी जो हाईकोर्ट जस्टिस अग्रवाल की ओर से किया गया. उन्होंने कहा कि 2017 में चौथा ट्रांसलेशन हुआ.


ट्रांसलेशन पर हुआ विवाद


हिंदू पक्ष के बारे में राजीव धवन ने कहा कि आप नवंबर तक क्या कर रहे थे? हमने कोर्ट के कहने पर ट्रांसलेशन किया था और कोर्ट में जमा किया था. इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसपर आपत्ति ये है कि उस ट्रांसलेशन में कुछ ऐसे शब्द हैं, जो असली वर्ज़न में है ही नहीं. राजीव धवन ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है, बाबर को ही बाबरशाह कहा जाता था.




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