अब सड़क किनारे, पार्किंग, पार्क या बाजार में खुलेआम शराब पीना महंगा सौदा साबित होगा। पकड़े जाने पर न केवल अदालतों के धक्के खाने पड़ेंगे बल्कि गाड़ी तक इम्पाउंड हो सकती है। चलती या खड़ी गाड़ी में भी शराब पीना जुर्म होगा। यही नहीं, पहली बारी पकड़े जाने पर 5 हजार रुपये जुर्माना और दूसरी बारी पकड़े जाने पर 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगेगा। यदि इसकी भरपाई नहीं की गई तो आरोपी की प्रॉपर्टी तक अटैच होने का खतरा है।
खुलेआम शराब पीने के आदी लोगों पर लगाम लगाने के लिए सामने आए इस फैसले की जानकारी आबकारी व कराधान मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने दी। उन्होंने बताया कि इस बारे में अधिसूचना जारी हो गई है और इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति केवल अपने घर को छोड़कर ऐसे किसी भी स्थल पर शराब नहीं पी सकेगा जो पंजाब आबकारी अधिनियम, 1914 के तहत इसके लिए लाईसेंस्ड या प्राधिकृत नहीं है। यानी कि अब सड़क पर या आसपास, पार्क, पार्किंग, बाजार या नदी किनारे शराब का सेवन करना अपराध होगा।
उन्होंने कहा कि चलती गाड़ी या खड़ी गाडी में भी शराब पीना जुर्म होगा। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों को काबू में करने के लिए सहायक आबकारी व कराधान अधिकारी (आबकारी) रैंक के अफसर के पास पवर हैं। वह आरोपी को रोककर रखेगा और ऐसे मामले में 24 घंटों के भीतर उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त (आबकारी) सह जिला कलेक्टर को मामला भेज देगा।
उन्होंने कहा कि कलेक्टर या तो मामले को ट्रायल के लिए अदालत को रेफर कर सकते हैं या पहली बार अपराध के लिए 5,000 रुपये प्रति व्यक्ति, दूसरी बार और इसके बाद हर बार अपराध के लिए 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति का जुर्माना लगाकर खुद मामले का निपटारा कर सकेंगे। इसके अलावा मालिक या परिसर के कब्जाधारक और गाड़ी के ओनर सहित ऐसे संदिग्ध अपराधी के खिलाफ कार्रवाई से पहले उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। यदि आरोपी के बारे में यह बात सामने आई कि उसने शराब पीकर हुड़दंग किया तो उसे एक उचित अवसर दिए बिना जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। यदि अपराधी को शराब पीने के बाद उपद्रव करता पाया जाता है तो इस मामले को ट्रायल के लिए अदालत को रेफर किया जाएगा।
कलेक्टर अपनी संतुष्टि के लिए अपराधी की जमानत या प्रतिभूति जमा होने पर अपराधी को भी छोड़ सकता है। बहरहाल, यदि अपराधी कलेक्टर की तरफ से लगाए गए जुर्माने को भरने के लिए तैयार है तो आरोपी को जुर्माने की वसूली पर तुरंत छोड़ दिया जाएगा। यदि अपराधी अपनी वास्तविक पहचान बताने में और कलेक्टर द्वारा तय की गई जमानत को भरने में विफल रहता है तो ऐसे मामले को ट्रायल के लिए क्षेत्र की अदालत को रेफर कर सकता है। यदि असंतुष्ट व्यक्ति अपील करता है तो कलेक्टर अपने विवेक पर जब तक अपील लंबित रहती है, उस व्यक्ति को निर्दोष मान सकता है।
यदि कोई व्यक्ति जुर्माना नहीं भरता है तो ऐसे व्यक्ति की प्रॉपर्टी को अटैच करके नीलामी द्वारा जुर्माना वसूला जाएगा। यहां तक कि अब पब्लिक प्लेस पर शराब पीने के लिए इस्तेमाल में लाई गई गाड़ी को इम्पाउंड भी किया जा सकेगा और जब्त किए गए वाहन की नीलामी से जुर्माने की अदायगी करेगा। नीलामी में बची शेष राशि गाड़ी के मालिक को सौंप दी जाएगी।
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