कमजोर कहानी, जबरदस्ती का एक्शन
साहो की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कहानी साबित हुई. इस फिल्म को भारत की सबसे बड़ी एक्शन एंटरटेनर मूवी के तौर पर प्रमोट किया गया. साहो में एक्शन भी भरपूर है. लेकिन सवाल है साहो में क्या इतना एक्शन जरूरी था? प्रभास के बाइक चेज सीक्वेंस पर 70 करोड़ खर्च करने की खबरें हैं. लेकिन क्या धुआं-धुआं कर 37 गाड़ियां और 5 ट्रक को राख करने का कोई मतलब था?
फिल्म का एक्शन जरूरत से ज्यादा और बेमतलबी लगता है. गाड़ियां हवा में उड़ रही हैं, जलकर राख हो रही हैं, बिल्डिंग धड़ाम-धड़ाम गिर रही हैं... डायरेक्टर का इन चीजों पर इतना ज्यादा फोकस रहा कि कहानी अपने रास्ते से भटकती चली गई. एक्शन को परोसने के चक्कर में बाकी सारी चीजें नजरअंदाज कर दी गईं.
कमजोर कहानी, जबरदस्ती का एक्शन
साहो की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कहानी साबित हुई. इस फिल्म को भारत की सबसे बड़ी एक्शन एंटरटेनर मूवी के तौर पर प्रमोट किया गया. साहो में एक्शन भी भरपूर है. लेकिन सवाल है साहो में क्या इतना एक्शन जरूरी था? प्रभास के बाइक चेज सीक्वेंस पर 70 करोड़ खर्च करने की खबरें हैं. लेकिन क्या धुआं-धुआं कर 37 गाड़ियां और 5 ट्रक को राख करने का कोई मतलब था?
फिल्म का एक्शन जरूरत से ज्यादा और बेमतलबी लगता है. गाड़ियां हवा में उड़ रही हैं, जलकर राख हो रही हैं, बिल्डिंग धड़ाम-धड़ाम गिर रही हैं... डायरेक्टर का इन चीजों पर इतना ज्यादा फोकस रहा कि कहानी अपने रास्ते से भटकती चली गई. एक्शन को परोसने के चक्कर में बाकी सारी चीजें नजरअंदाज कर दी गईं.
बोरिंग कहानी, लंबी फिल्म
साहो की कहानी में कई सारे ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं. जो कि अंत तक बने रहते हैं. कौन पुलिस है, कौन चोर, कौन किसके साथ है, कौन धोखेबाज, इतने सारे विलेन्स में से कौन असली विलेन है.... ये सब जानने के लिए आप फिल्म देख सकते हैं. प्रभास के "डाई हार्ड फैन" हैं तो देख सकते हैं. मगर सच्चाई तो ये है कि साहो बांधे रखने में नाकामयाब साबित होती है.
फर्स्ट हाफ बोरिंग है. एक तो किरदारों की भरमार है, और उन्हें जमाने में डायरेक्टर को कुछ ज्यादा ही वक्त लग गया. इंटरवल से थोड़ा पहले कहानी रफ्तार पकड़ती है. दिक्कत यह कि इंटरवल के बाद फिर सुस्त भी हो जाती है. क्लाइमेक्स की तरफ आते-आते कहानी में ढेर सारा एक्शन का डोज मिलता है, जो कि एक्शन लवर्स को एंटरटेन कर सकता है. गाने अच्छे हैं सभी गानों को पूरा दिखाया गया है, जिसकी वजह से भी फिल्म की लंबाई बढ़ी.
बोरिंग कहानी, लंबी फिल्म
साहो की कहानी में कई सारे ट्विस्ट एंड टर्न्स हैं. जो कि अंत तक बने रहते हैं. कौन पुलिस है, कौन चोर, कौन किसके साथ है, कौन धोखेबाज, इतने सारे विलेन्स में से कौन असली विलेन है.... ये सब जानने के लिए आप फिल्म देख सकते हैं. प्रभास के "डाई हार्ड फैन" हैं तो देख सकते हैं. मगर सच्चाई तो ये है कि साहो बांधे रखने में नाकामयाब साबित होती है.
फर्स्ट हाफ बोरिंग है. एक तो किरदारों की भरमार है, और उन्हें जमाने में डायरेक्टर को कुछ ज्यादा ही वक्त लग गया. इंटरवल से थोड़ा पहले कहानी रफ्तार पकड़ती है. दिक्कत यह कि इंटरवल के बाद फिर सुस्त भी हो जाती है. क्लाइमेक्स की तरफ आते-आते कहानी में ढेर सारा एक्शन का डोज मिलता है, जो कि एक्शन लवर्स को एंटरटेन कर सकता है. गाने अच्छे हैं सभी गानों को पूरा दिखाया गया है, जिसकी वजह से भी फिल्म की लंबाई बढ़ी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें